विकास से विनाश तक जाती युद्ध की ये भयावह तस्वीर.. विकास से विनाश तक जाती युद्ध की ये भयावह तस्वीर..
बस बेवज़ह इच्छाओं को ज़रूरत हो जितनी बस उतनी बढ़ाओ। बस बेवज़ह इच्छाओं को ज़रूरत हो जितनी बस उतनी बढ़ाओ।
वो पेड़ कुलहड़ियों का चोट खाकर जमीन पर पड़ा था। वो पेड़ कुलहड़ियों का चोट खाकर जमीन पर पड़ा था।
जिसने हर दुख मे दर्द में साथ निभाया कभी ना छोडा़ साध हमारा हर वक़्त जिसने दिया सहारा। जिसने हर दुख मे दर्द में साथ निभाया कभी ना छोडा़ साध हमारा हर वक़्त जिसने ...
देखो आज फिर निकला उम्मीदों का चाँद, निराशा के घने बादल को चीरकर ले आया। देखो आज फिर निकला उम्मीदों का चाँद, निराशा के घने बादल को चीरकर ले आया।
ढूंढ रहे हो तुम मुझे कहां कहां दिल से देखोगे तो मैं मिलूंगा वहां। ढूंढ रहे हो तुम मुझे कहां कहां दिल से देखोगे तो मैं मिलूंगा वहां।